परिवार ही हर समाज की धुरी, इसके चारों ओर ही समाजिक अपेक्षाएं घुमती, परिवार ही हर समाज की धुरी, इसके चारों ओर ही समाजिक अपेक्षाएं घुमती,
प्राचीन संस्कृति की जड़ें धीरे-धीरे हिल रही हैं... प्राचीन संस्कृति की जड़ें धीरे-धीरे हिल रही हैं...
समाज सभी सभ्यता में होते,समाज सभी देशों में होते। समाज सभी सभ्यता में होते,समाज सभी देशों में होते।
आदर्श समाज का हो निर्माण माता-पिता, गुरु का हो सम्मान। आदर्श समाज का हो निर्माण माता-पिता, गुरु का हो सम्मान।
मजदूर लाचार न हो रोष प्रतिरोध न हो उचित काम का उचित दाम मजदूर लाचार न हो रोष प्रतिरोध न हो उचित काम का उचित दाम
नविन पिढीपुढे संस्काराचा आदर्श ठेवतो नविन पिढीपुढे संस्काराचा आदर्श ठेवतो